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आधी आबादी के लिए BJP और कांग्रेस दोनों ने दिखाई कंजूसी…इतने प्रतिशत महिलाओं को ही दिया टिकट

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देश में इस समय लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है। सियासी दल आधी आबादी यानी महिलाओं के वोट तो हासिल करना चाहते हैं लेकिन टिकट देकर चुनावी मैदान में लाने के लिए अभी भी इन सियासी दलों ने अपना दिल बढ़ा नहीं किया है। देश में 128वें संवैधानिक संशोधन विधेयक 2023 नारी शक्ति वंदन अधिनियम लागू होने के बाद लोकसभा के साथ राज्य विधानसभाओं दोनों जगह महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। आरक्षण लागू होने के बाद यानी लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की सीटों में महिलाओं के हिस्से में एक तिहाई सीट आएंगी। बता दें अधिनियम लागू होने के बाद पहली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर ही नए परिसीमन की कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अब यह बिल 2029 के बाद ही लागू होगा। कानून बनने तक तक महिलाओं को अपनी हिस्सेदारी के लिए सियासी दलों की दया पर निर्भर रहना होगा।

  • बीजेपी ने अब तक घोषित किए 434 उम्मीदवार
  • 434 में से बीजेपी में 16 फीसदी महिला प्रत्याशी
  • कांग्रेस ने किये अब तक 317 प्रत्याशी तय
  • कांग्रेस के 317 में से 14 प्रतिशत महिला प्रत्याशी
  • बीजेपी के हर 6वें उम्मीदवार पर एक महिला उम्मीदवार
  • कांग्रेस के हर 7वें उम्मीदवार पर एक महिला उम्मीदवार
  • देश में हैं 47 करोड़ 15 लाख 41 हजार 888 महिला मतदाता

मौजूदा आमचुनाव की बात करें तो इस बार भी महिलाओं को पर्याप्त संख्या में टिकट देने में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल पीछे रहे हैं। बीजेपी ने अब तक 434 उम्मीदवार घोषित किए हैं। इनमें से महज 16 फीसदी महिलाएं ही उम्मीदवार के रूप में सामने आईं है। वहीं कांग्रेस ने अब तक करीब 317 प्रत्याशी घोषित किए हैं। जिनमें से मात्र 14 प्रतिशत महिला प्रत्याशी शामिल हैं। यानी बीजेपी के हर 6वें उम्मीदवार पर एक और कांग्रेस के हर सातवें उम्मीदवार पर एक महिला उम्मीदवार है। बता दें 8 फरवरी 2024 तक देश में कुल 96.88 लाख 21 हजार 926 मतदाताओं के नाम दर्ज हैं। इनमें करीब 49 करोड़ 72 लाख 31 हजार 994 पुरुष मतदाता हैं तो महिला मतदाताओं की संख्या कुल 47 करोड़ 15 लाख 41 हजार 888 है। वहीं 48,044 तीसरे लिंग वर्ग के मतदाता हैं।

बिहार में दोनों दल ने बंद किये महिलाओं के लिए दरवाजे

बिहार की हालत तो सबसे दयनीय है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं, लेकिन इसे महिलाओं ने​त्रियों की बदकिस्मत ही कहेंगे कि यहां बीजेपी ही नहीं कांग्रेस ने भी महिलाओं को उम्मीदवार बनाने से गुरेज किया है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देने और महिलाओं को सियासत में लाने की पैरवी करने वाली बीजेपी और लड़की हूं लड़ सकती हूं का नारा देने वाली प्रियंका गांधी की कांग्रेस ने भी बिहार में महिलाओं को उम्मीदवारी से दूर रखा, उन्हें टिकट नहीं दिया है।

तीसरे चरण में 9 फीसदी महिला प्रत्याशी

देश में आम चुनाव के दो चरणों का मतदान हो चुका है। अब 7 मई को होने वाले तीसरे चरण की तैयारी की जा रही है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनाव के इस तीसरे चरण में 1352 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं,जिनमें से केवल 9 प्रतिशत महिलाएं हैं। यानी तीसरे चरण में कुल 1352 प्रत्याशियों की चुनावी किस्मत दांव पर लगी हुई है। इनमें भी महज 123 महिला प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनकी यह संख्या तीसरे चरण के कुल 1352 उम्मीदवारों का महज 9 फीसदी ही है। महिला उम्मीदवारों की कम संख्या चिंताजनक स्थिति को दर्शा रही है। पहले और दूसरे चरण के मतदान को मिलाकर महज 8 फीसदी महिला प्रत्याशी ही मैदान में थीं। इन दोनों ही चरणों में कुल 2823 उम्मीदवार चुनावी मैदान में रहे। जिनमें से महिलाओं की हिस्सेदारी सिर्फ 235 ही रही।

पहले दो चरण में 235 महिला प्रत्याशी

पहले चरण के चुनाव में देश भर में 135 महिला उम्मीदवार मैदान में उतरीं थीं। 19 अप्रैल को हुए दूसरे चरण के चुनाव की बात की जाए तो दूसरे चरण में भी 100 महिला प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा। जबकि पहले चरण में 1625 उम्मीदवार मैदान में थे तो दूसरे चरण में 1198 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे।

दो चरणों में बीजेपी की 69 तो कांग्रेस की 44 महिला प्रत्याशी

पहले दो चरण के चुनाव में बीजेपी की ओर से महिला प्रत्याशियों का प्रतिनिधित्व ज्यादा देखने को मिला। बीजेपी ने दो चरणों मं 69 महिलाओं को मैदान में उतारा तो वहीं कांग्रेस ने 44 महिलाओं को इन दोनों चरणों में मौका दिया। राजनीति के इस लैंगिक असंतुलन पर सियासी पंडित कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों को महिला आरक्षण अधिनियम के लागू होने का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि उन्हें सक्रिय तौर पर महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारना चाहिए।

347 सीट ऐसी जहां अब तक नहीं चुनी गई महिला सांसद

2004 से लेकर 2019 तक देश में चार बार लोकसभा चुनाव हुए हैं। आम चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान संसद में 1924 पुरुष सांसद बनकर पहुंचे तो महिलाएं सिर्फ 248 ही पहुंच सकीं। इतना ही नहीं 543 लोकसभा सीटों में से लोकसभा की 347 सीट ऐसी हैं जहां पिछले 20 साल से एक बार भी महिलाओं को प्रतिनिधित्व करने का मौका नहीं मिला।

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