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लोकसभा चुनाव: 4 से 5% भी कम हुई वोटिंग तो गुजरात में बीजेपी के हाथ से निकल सकती हैं इतनी सीट!

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लोकसभा चुनाव में इन दोनों प्रचार अपने पूरे चरम पर पहुंच चुका है। दो चरण के बाद तीसरे चरण के मतदान की तैयारी हो रही है। हम बात कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात की। वैसे तो गुजरात में हर लोकसभा सीट का तीसरा या दूसरा मतदाता यह दोहराता आ रहा है कि आएंगे तो मोदी ही भाजपा क्लीनशिप करने वाली है। यही वह शब्द है जो इन दिनों गुजरात की धरती पर गूंज रहा है। लेकिन बीजेपी अब इन्हीं शब्दों से थोड़ी परेशान और आशंकित नजर आने लगी है।

  • गुजरात की प्रमुख सीटों पर बीजेपी का फोकस
  • 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत का मार्जिन 5000 से कम था
  • बीजेपी का अवैध गढ़ और प्रधानमंत्री मोदी का गृह राज्य है गुजरात
  • बीजेपी को पिछले दो चुनाव से कांग्रेस से 26 से 30 फीसदी वोट मिले
  • 2014 और 2019 में बीजेपी ने 26 सीट जीतने में सफलता हासिल की थी
  • पिछले दो चरणों के कम वोटिंग प्रतिशत से बीजेपी की परेशान
  • कम वोटिंग प्रतिशत से गुजरात के भाजपा नेता भी चिंतित
  • कम वोटिंग प्रतिशत का ट्रेंड जारी रहा तो गुजरात में बीजेपी को तीन से चार सीट फंस सकती हैं

बीजेपी को आशंका का है कि कहीं उसका कमिटेड मतदाता अति आत्मविश्वास में आकर मतदान करने बूथ तक नहीं गया तो क्या होगा। अगर गुजरात में 6 से 7% वोटिंग कम होती है तो बीजेपी को करीब 3 से 4 सीटों का नुकसान उठाना पड़ सकता है। पिछले दो लोकसभा चुनाव की बात करें तो बीजेपी का काम बीजेपी को कांग्रेस से 26 से 30 फीसदी वोट ज्यादा मिले थे। लोकसभा चुनाव के प्रचार में बीजेपी के लिए फिलहाल पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह एक तरह से प्लस पॉइंट बने हुए हैं। मोदी की गारंटी शब्द पर मतदाता भरोसा करने को तो तैयार है लेकिन बीजेपी इसे थोड़ा आसान के थे राम मंदिर अयोध्या के राम मंदिर और धारा 370 का खत्म, सर्जिकल स्ट्राइक, इकोनामिक ग्रोथ, चीन, पाकिस्तान पर दबाव विकसित भारत हिंदुत्व की एक झुकता जैसे कई ऐसे मुद्दे हैं जो बीजेपी के लिए इस समय टॉनिक का काम कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के माइनस पॉइंट की बात की जाए तो हनिया नेताओं में बढ़ती भ्रष्टाचार की प्रवृत्ति हम यानी घमंड और आए दिन हो रही बयान बाजी बीजेपी के लिए नेगेटिव पॉइंट है। बीजेपी में टिकट वितरण में मनमानी से कार्यकर्ता में नाराजगी भी साफ नजर आ रही है। अमरेली के रुपला को राजकोट भावनगर के मांडवीया को पोरबंदर मोरबी के चंदू सीहोरा को सुरेंद्रनगर से टिकट दिए जाने की हो बीजेपी का कार्यकर्ता इस टिकट वितरण से नाराज है।

ये 10 चर्चित सीट हैं गुजरात

चर्चित सीटों की बात करें तो गुजरात में सबसे ज्यादा चर्चित गांधीनगर, राजकोट, नवसारी, आणंद, भरूच, भावनगर, बड़ोदरा, पोरबंदर, बनासकांठा और अहमदाबाद को माना जाता है। बात करें गांधीनगर की तो यहां से अमित शाह खुद चुनाव मैदान में उतरे हैं। कांग्रेस ने सोनल बेन को मैदान में उतारा है। इस सीट से अमित शाह करीब आठ से नौ लाख वोट की लीड ले सकते हैं। राजकोट में विरोध के बाद भी पुरुषोत्तम रूपला कांग्रेस और दूसरे प्रत्याशियों से बहुत आगे हैं। हालांकि स्थानीय लोगों की नाराजगी और कार्यकर्ता की नाराजगी के साथ परेश धनानी के होने से उनके जीत का मार्जिन घट सकता है। बता दे राजकोट लोकसभा सीट पर लेठवा पटेल की संख्या बहुत अधिक है।

नवसारी लोकसभा सीट से गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटील

इसी तरह नवसारी लोकसभा सीट से गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटील चुनाव मैदान में हैं। उनके लिये यह सीट आसान मानी जा रही है। हीरा नगरी सूरत में मतदान रद्द हो चुका है और नवसारी के 20 फ़ीसदी मतदाता सूरत में आते हैं। यह मतदाता वोटिंग से गायब रहते हैं तो सीआर पाटील की लीड इस बार घट सकती है। अहमदाबाद की ईस्ट और वेस्ट सीट पर बीजेपी एकदम से बेफिक्र है ईस्ट में 2014 में परेश रावल ने 3 लाख वोट से और 2019 में हसमुख पटेल ने करीब चार लाख वोट से जीत हासिल की थी। वेस्ट में बीजेपी ने क्रिएट सोलंकी की जगह दिनेश मकवाना को टिकट दिया है।

बनासकांठा सीट की बात करें तो यहां कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद नजर आती है। कांग्रेस ने हो ठाकोर समाज के ज्ञानबेन को चुनाव मैदान में उतारा है। ज्ञानबेन चौंकाने वाले नतीजे दे सकती है। बड़ोदरा सीट से रंजन बेन ने विरोध के बाद अपना टिकट बीजेपी को लौटा दिया था। इससे भाजपा में अंदरूनी कलह भी है फिर भी सीट सुरक्षित मानी जा रही है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्मस्थली पोरबंदर में कांग्रेस के अर्जुन माल वाडिया को बीजेपी में आने के बाद से स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडवीया की आसान मानी जा रही है। महात्मा गांधी ने बारडोली से एक बड़ा आंदोलन किया था। बारडोली सत्याग्रह इतिहास के पन्नों में दर्ज है। इस बारडोली लोकसभा सीट पर आदिवासी बहुत आयात में पाए जाते हैं। जहां से प्रभु भाई बसवा दो बार से बीजेपी के सांसद हैं। विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के कारण कांग्रेस हारी थी। इस बार दोनों साथ है फिर भी प्रभु भाई बसवा को सीट निकालने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

भावनगर सीट में आम आदमी पार्टी के पास अवसर है। क्षत्रियों को की अच्छी खासी संख्या के बावजूद भाजपा यहां जीत सकती है। भरूच लोकसभा सीट की बात करें तो कांग्रेस में समझौते पर यह सीट आम आदम आम आदमी पार्टी के हवाले की है। ऐसे में अगर भरूच सिटी आम आदमी पार्टी के क्षेत्र बसवा के साथ आया तो बीजेपी के मनसुख बसवा को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आणंद लोकसभा सीट की बात करें तो 2014 और 2019 में बीजेपी ने बड़े मार्जिन से इस सीट पर जीत हासिल की थी। इस बार नितेश को लेकर स्थानीय कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। ऐसे में वोटिंग 4 से 5% भी कम हुई तो बीजेपी के हाथ से यह सीट निकल सकती है। सुरेंद्रनगर लोक सभा सीट से बीजेपी ने चंदू सीहोरा को टिकट दिया है। यहां भाजपा को आपसी लड़ाई और गुटबाजी का नुकसान हो सकता है क्योंकि बीजेपी में यहां अंदरूनी लड़ाई है। चंदू भाई दरअसल मूलता: मोरबी के रहने वाले हैं। पार्टी कार्यकर्ताओं ने बाहरी बढ़कर विरोध कर रहे हैं। बीजेपी के सामने इस सीट को मामूली अंतर से जीत और हार की भी आशंका है।

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