लोकसभा चुनाव सरगर्मी के बीच दिल्ली की सात लोकसभा सीट खासी अहम हो जाती हैं। कहते हैं दिल्ली से ही केंद्र की सत्ता का रास्ता निकलता है क्योंकि दिल्ली का मतदाता दिलचस्प और प्रैक्टिकल माना जाता है। वोट ही नहीं वह अपना मत यानी विचार देते समय भी खासा सजग रहता है। दिल्ली की सात सीटों में चांदनी चौक ,पूर्वी दिल्ली ,उत्तर पूर्व दिल्ली, नई दिल्ली ,उत्तर पश्चिमी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली और दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट शामिल है।
- दिल्ली की सभी 7 सीटों पर 25 मई छठवें चरण में वोटिंग
- सोच विचार के बाद वोट डालता है दिल्ली का मतदाता
- देश की सत्ता में पीएम मोदी पहली पसंद
- राज्य की सत्ता के लिए दिल्ली वालों के दिल में केजरीवाल
- 2019 के आम चुनाव में सात सीट बीजेपी को मिली
- 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली वालों ने आप को चुना
- 36 प्रतिशत फ्लोटिंग मतदाता बनाते बिगाड़ते हैं चुनावी खेल
- दिल्ली ऐसे ही नहीं मानी जाती है सत्ता का केंद्र
- दिल्ली का मतदाता सोच विचार कर देता है वोट
- इस बार आप को मिल सकती है थोड़ी सी सहानुभूति
- क्या वोट में बदलेगी केजरीवाल के नाम पर मिली सहानुभूति
- दिल्ली में आप और कांग्रेस मिलकर लड़ रहीं चुनाव
- आप और कांग्रेस की जोड़ी के सामने हैं कई चुनौतियां
- दिल्ली की लड़ाई 36 के आंकड़े पर आई
7 सीटों पर सियासी जंग के ‘कमांडर’
इस बार दिल्ली में मुकाबला पिछले दो बार के लोकसभा चुनाव की तरह बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच माना जा रहा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी मिलकर दिल्ली में चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में भाजपा बनाम आम आदमी पार्टी कांग्रेस तीन और चार या पांच और दो के बीच रहने की उम्मीद है। साल 2014 और उसके 5 साल बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीट बीजेपी ने अपने कब्जे में की थी। लेकिन 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली वालों का दिल आम आदमी पार्टी ने जीत लिया। मतदाता पीएम के लिए मोदी और सीएम के लिए केजरीवाल के नाम पर वोट देते हैं। दिल्ली में ऐसा करने वाले मतदाताओं की संख्या करीब 36 फीसदी के आसपास है। 2015 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो दिल्ली की 70 में से 67 विधानसभा सीट आम आदमी पार्टी ने जीती थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को छत्तीस फीसदी कम वोट मिले और उसके हाथ एक भी लोकसभा सीट नहीं आई। लेकिन इसके बाद जैसे ही 2020 में विधानसभा चुनाव हुआ तो आम आदमी पार्टी को 2019 के लोकसभा चुनाव की तुलना में छत्तीस प्रतिशत अधिक वोट हासिल हुए और 70 में से 62 विधानसभा सीट जीतकर आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सरकार बनाई।
चांदनी चौक में प्रवीण खंडेलवाल और जयप्रकाश के बीच जंग
दिल्ली की लोकसभा सीटों पर टक्कर और प्रत्यायाी की बात करें तो चांदनी चौक लोकसभा सीट में दो बार सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन सिंह का टिकट काटकर व्यापारी वर्ग का नेतृत्व करने वाले प्रवीण खंडेलवाल को भाजपा ने टिकट दिया है। कांग्रेस से उनके सामने 10 बार चुनाव लड़ चुके जयप्रकाश अग्रवाल है। जिन्हें कांग्रेस ही नहीं आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिला है। पूर्वी दिल्ली की बात करें तो बीजेपी ने यहां हर्ष मल्होत्रा को टिकट देकर चुनाव में उतारा है। सामान्य सीट होते हुए भी आम आदमी पार्टी ने अपने दलित विधायक कुलदीप को इस बार लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया है। मल्होत्रा पूर्वी दिल्ली निगम के मेयर रह चुके हैंं।
उत्तर पूर्व दिल्ली से मनोज तिवारी तो नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज
उत्तर पूर्व दिल्ली लोकसभा सीट पर बीजेपी ने भोजपुरी गायक सांसद मनोज तिवारी को एक बार फिर मौका दिया है। कांग्रेस ने उनके सामने जेएनयू के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को टिकट देकर फाइट को दिलचस्प बना दिया है। वही नई दिल्ली में बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज को अपना प्रत्याशी बनाया कर मैदान में उतारा है तो आम आदमी पार्टी की ओर से विधायक सोमनाथ आरती उनका मुकाबला करने उतरे हैं। इसी तरह उत्तर पश्चिमी दिल्ली सीट पर भाजपा ने दिल्ली के पूर्व में योगेंद्र चंदोलिया को टिकट दिया है। जबकि उनके सामने कांग्रेस के उदित राज मैदान में हैं। जो इस सीट पर 2009 में बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। पिछली बार बीजेपी ने हंसराज हंस को टिकट दिया था इससे से नाराज उदित राज कांग्रेस में चले गए थे। पश्चिम दिल्ली में कमलजीत शेरावत बीजेपी के उम्मीदवार हैं जबकि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के से साझा उम्मीदवार के रूप में महाबल मिश्र मैदान में हैं। महाबल मिश्रा का यह चौथा चुनाव माना जा रहा है पिछले दो आम चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर मैदान में थे लेकिन हारने के के पहले वे सीट का प्रतिनिधि प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। महाबल दक्षिण दिल्ली नगर निगम की पूर्व मेयर भी रह चुकी हैं। दक्षिण दिल्ली की बात करें तो विधायक रामवीर सिंह बिधूड़ी को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। आम आदमी पार्टी ने सहीराम पहलवान को टिकट देकर मुकाबले में खड़ा किया है। दोनों ही मौजूदा विधायक हैं। बीजेपी के लिए उत्तर पूर्व और चांदनी चौक सीट पर कई चुनौती है। इन दोनों सीटों पर कन्हैया कुमार और जेपी अग्रवाल सीधी टक्कर देते नजर आ रहे हैं।
6 फीसदी फ्लोटिंग का एक तिहाई वोट बदल सकता है गणित
सियासी जानकार कहते हैं 36 फीसदी फ्लोटिंग वोटर में एक तिहाई भी केजरीवाल की सहानुभूति लहर को गया तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को दो से तीन सीट मिल सकती है। आधे फ्लोटिंग वोटर उधर गए तो गठबंधन को 5 सीट संभव है। केजरीवाल इस समय जेल में हैं। चुनाव का यही सबसे बड़ा सवाल है। इसलिए दो चुनाव में लोकसभा में मोदी और विधानसभा में केजरीवाल अहम होते थे। इस बार भी चुनाव में केजरीवाल बड़ा मुद्दा बन गए हैं। पिछले चुनाव तक मतदाता मोदी के साथ और मोदी के खिलाफ थे। लेकिन इस बार दिल्ली का नॉरेटिव केजरीवाल के साथ और केजरीवाल के खिलाफ पिछल है। पिछले चुनाव के नतीजे के आधार पर आम आदमी पार्टी ने अपने हिस्से में चार सीट रखी और कांग्रेस को तीन सीट का आफर दिया है। बीजेपी को हारने के नाम पर आम आदमी और कांग्रेस साथ जरूर आ गए हैं लेकिन जमीन पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी कार्यकर्ता एक दूसरे के साथ चलने में हिचकिचाते नजर आ रहे हैं। बीजेपी के पास इस समय 30 फीसदी के करीब खेड़ा वोटर है जो हर हाल में उसे मिलना है जबकि कांग्रेस के वोट बैंक का बड़ा हिस्सा आम आदमी पार्टी को ट्रांसफर हो गया है।
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